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डॉ सुरेश ने अपने कांटैक्ट मे डॉ राजीव का मोबाइल नंबर ढूंढकर कॉल किया । कई बार प्रयास किया लेकिन फोन नेटवर्क के बाहर बता रहा था। डॉ राजीव WhatsApp ग्रुप मे डॉ सुरेश और अन्य डॉक्टरों के साथ जुड़े थे। डॉ सुरेश ने उस chat का स्क्रीनशॉट ग्रुप मे भेज दिया। लगभग चार घंटे के बाद डॉ सुरेश के नंबर पे डॉ राजीव का फोन आया वो बोले “वो facebook आईडी मेरा नहीं है। मुझे पैसे कि क्या जरूरत है ? “चूंकि डॉ राजीव का fake आईडी भी डॉ सुरेश कि फ़्रेंड्स लिस्ट मे था इसलिए डॉ सुरेश को लगा कि ये मैसेज उनके बॉस कि तरफ से आया है। उन्होने तुरंत उस FAKE आईडी को ब्लॉक किया फिर उसे unfriend किया और अपनी Facebook प्राइवसी सेटिंग को review किया
धन्यवाद!