मड़ुए(Ragi) की रोटी

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मड़ुए की रोटी

दोस्तों अगर हम खाने मे सही चीज का चुनाव करें तो हमे दवाइयों की जरूरत कम पड़ेगी । हमारे पूर्वज खाने मे पौस्टिक और शुद्ध वस्तुओं का प्रयोग किया करते थे इसलिए वो ज्यादा वरसों तक स्वस्थ और स्फूर्तिवान रहते थे । हमारे कुछ पर्व भी ऐसे भोजन को प्रोत्साहन देते हैं। मड़ुआ को अंग्रेजी मे Raagi कहते हैं। अक्सर गाँव मे खेतिहर मजदूर मड़ुए की रोटी खाते हैं और कड़ी धूप मे मेहनत करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ये उनके लिए बहुत फायदेमंद है । चलिये इस बात के वैज्ञानिक पहलू को समझते हैं। मड़ुए मे कैल्सियम प्रचुर मात्रा मे होता है।जो लोग मड़ुआ खाते हैं उन्हे कैल्सियम की कमी नहीं होती। अब यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है कि जो कैल्सियम हमारी आंत मे भोजन के द्वारा पहुंचता है उसे आंत से हमारे खून मे आने के लिए विटामिन डी कि जरूरत होती है । शायद हम सभी जानते हैं कि धूप जब हमारी चमड़ी पर पड़ती है तो हमारे शरीर मे विटामिन डी बनता है। तो जो लोग कड़ी धूप मे मेहनत करते हैं और मड़ुए कि रोटी का सेवन करते हैं उनके रक्त मे कैल्सियम कि कमी नहीं होती। कैल्सियम हमारे दाँतो और हड्डियों के लिए बहुत जरूरी है।इसके अलावा हमारी मांसपेशियाँ सुचारु रूप से काम करें इसके लिए भी calcium जरूरी है।

तो दोस्तों मड़ुए कि रोटी का फाइदा आप समझ गए होंगे। इसके अलावा मड़ुए मे फाइबर कि मात्र भी पर्याप्त होती है इसलिए यह डायबिटीज अर्थात मधुमेह मे भी फायदेमंद है। फाइबर पर्याप्त मात्रा मे लेने से हमारी आंतों का कैंसर ,पाईल्स आदि रोगों कि संभावना कम रहती है।

हमने पहले ये चर्चा कि थी कि हमारे पर्व त्योहार मे कुछ भोजन को प्रोत्साहन दिया जाता है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। उदाहरण के तौर पर जीतिया पर्व को हे ले। ये व्रत माताएँ अपने बच्चों के लिए रखती हैं। अब जरा सोचिए जीतिया मे आखिर क्यूँ मड़ुए का प्रयोग होता है। इसका वैज्ञानिक पहलू ये है कि इससे माताओं के शरीर मे कैल्सियम कि पूर्ति होती है। यह कैल्सियम माताओं के दूध के निर्माण मे जरूरी होता है जो वो अपने बच्चों को पिलाकर स्वस्थ रखती हैं। हमारे पूर्वज विज्ञान भले ही नहीं जानते हों लेकिन उनकी दृष्टि वैज्ञानिक ही रही थी जाने अंजाने मे।

तो दोस्तो मड़ुआ को लो स्टेटस सिम्बल बनाने के बजाय,सस्ता और पौस्टिक भोजन के रूप मे स्वीकार करना चाहिए।

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Comments

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