• Uncategorized

    Chapter 8: मानसिक संघर्ष और भूतिया रहस्य

    प्रियंका की नींद अब किसी खौ़फनाक यथार्थ से कम नहीं थी। किले में बिताए गए दिनों के दौरान, उसे लगातार अजीब और डरावने सपने आने लगे थे। रात को सोते समय उसे ऐसा लगता था जैसे किला खुद उसके भीतर समा गया हो, और उसके दिमाग की गहरी तहों में दबी डर और संदेह की परछाइयाँ इधर-उधर दौड़ रही थीं। एक रात, प्रियंका ने देखा कि वह किले के अंदर अकेली चल रही है, और उसके पीछे कोई गहरी कटी हुई हंसी सुनाई दे रही है। उसकी नजरें एक क्षण के लिए किले की दीवारों पर जाती हैं, जहाँ पुराने…

  • Uncategorized

    Chapter 7: मानसिक तनाव – गहरे खड्ड में प्रियंका के कदम धीरे-धीरे किले के भीतर बढ़ रहे थे, जैसे उसे कोई अदृश्य शक्ति खींच रही हो। किले का वातावरण इतना घना और रहस्यमय था कि उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि हर दीवार, हर चुप्पी, और हर अंधेरे कोने में कोई राज़ छुपा हुआ है। वह अपने कदमों की आवाज़ सुन रही थी, जो अजनबी और डरावनी लग रही थी। जैसे इन गूंजती आवाज़ों में कोई चेतावनी छिपी हो। उसकी छाती में लगातार धड़कन तेज़ हो रही थी—यह डर नहीं था, बल्कि एक गहरी बेचैनी थी, जो उसे अंदर…

  • Suspense Stories

    अधूरी सच्चाई (Chapter 6: प्रलय की शुरुआत)

    प्रियंका ने विजय की बातों को नकारते हुए, किताब को अपने हाथों में कस कर पकड़ लिया। “मैं जो चाहती हूँ, वही मैं जानूंगी। और यदि मुझे अपनी जान भी जोखिम में डालनी पड़ी, तो भी मैं यह रहस्य जानकर रहूंगी।” विजय के चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान फैल गई। “तुमने खुद को चुना है, प्रियंका। अब तुम जो रास्ता चुनोगी, वह तुम्हारी ही जिम्मेदारी होगी।” प्रियंका और मोहन ने मिलकर उस नक्शे पर निशान लगाए, जो विजय ने उन्हें दिखाया था। वह जगह नवलपुर से बाहर एक प्राचीन किला था, जो अब वीरान पड़ा था। लेकिन क्या यह सचमुच…

  • Suspense Stories

    अधूरी सच्चाई (Chapter 5: विजय की साजिश)

    विजय ने प्रियंका और मोहन को हवेली के भीतर एक कक्ष में बैठाया। कमरे के चारों ओर पुरानी किताबें और दस्तावेज पड़े थे। दीवारों पर बसी धूल और अंधेरे में सिमटी पुरानी तस्वीरें इस कमरे को और भी रहस्यमय बना रही थीं। प्रियंका का मन एक अजीब घबराहट से भरा हुआ था। विजय ने मोहन की तरफ देखा और फिर प्रियंका से कहा, “तुम दोनों अब तक जिस रास्ते पर चल रहे थे, वह सही नहीं था। तुम लोगों ने केवल कुछ छोटे सुरागों को देखा था, लेकिन जो राज़ छुपा है, वह उससे कहीं अधिक गहरा है।” प्रियंका का…

  • Suspense Stories

    अधूरी सच्चाई (Chapter 4: विजय का खेल)

    प्रियंका और मोहन के सामने विजय खड़ा था, उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी। प्रियंका का दिल धड़कते-धड़कते जैसे रुकने को था। वह जानती थी कि वह किसी बहुत बड़े रहस्य के करीब पहुंच चुकी थी। विजय की उपस्थिति से हवेली की अंधेरी दीवारें और भी डरावनी लग रही थीं। “तुम कौन हो, विजय?” प्रियंका ने कड़ी आवाज में पूछा, लेकिन उसकी आवाज़ में डर साफ़ था। मोहन के चेहरे पर भी एक गहरी घबराहट थी, जो उसने छिपाने की कोशिश की थी, पर उसकी आँखों से सब कुछ साफ़ था। विजय ने प्रियंका की तरफ देखा और फिर…

  • Suspense Stories

    अध्याय 3: रहस्यमयी हवेली

    प्रियंका और मोहन ने एक पुरानी हवेली के बारे में सुना था, जो राजन के लापता होने से जुड़ी हो सकती थी। हवेली, जिसे लोग अब “भूतिया हवेली” कहते थे, एक समय में नवलपुर के सबसे समृद्ध परिवार की थी। लेकिन अब, वह सुनसान थी, और इसने शहर के रहस्यों को अपनी दीवारों में छुपा रखा था। प्रियंका का मन अशांत था। हवेली के अंदर कदम रखते ही, उसे एक अजीब सी घबराहट महसूस हुई, जैसे कुछ गलत होने वाला हो। हवेली का दरवाजा धीमे-धीमे खटका, जैसे किसी ने जानबूझकर उसे खोला हो। हवेली के भीतर घना अंधेरा था, और…

  • Suspense Stories

    अध्याय 2: मोहन की चेतावनी

    प्रियंका अपने विचारों में गुम थी कि अचानक उसके फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर मोहन का नाम था – राजन का पुराना दोस्त। प्रियंका का दिल जोर से धड़कने लगा। मोहन को फोन पर बात करने के दौरान हमेशा से ही एक अनकही सच्चाई का अहसास था, लेकिन अब, प्रियंका को यह समझने का मौका मिला कि मोहन को कुछ ज़्यादा ही मालूम था। “प्रियंका, मुझे राजन के बारे में कुछ नई जानकारी मिली है। मुझे लगता है कि तुम कुछ और जानने की कोशिश करो।” मोहन ने हलकी सी आवाज़ में कहा। प्रियंका की सांस रुक गई, “क्या…

  • Suspense Stories

    Suspense stories in hindi

    अधूरी सच्चाई (The Unfinished Truth) अध्याय 1: लापता राजन नवलपुर, वह शांत शहर, जो कभी अपने धीमे-धीमे जीवन के लिए जाना जाता था, अब एक अदृश्य भय के साये में डूब चुका था। यह डर कुछ ऐसा था जिसे कोई शब्द नहीं समझा सकता था, बस महसूस किया जा सकता था। शहर की गलियों में घूमते हुए लोग अब पहले जैसे नहीं रहे थे। उन आंखों में कोई अदृश्य हलचल थी, एक ऐसा अनकहा डर, जो बयां नहीं हो सकता था। प्रियंका अपने घर के आंगन में खड़ी थी। उसके चेहरे पर एक ऐसी उदासी थी, मानो कोई गहरी खाई…