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अधूरी सच्चाई (Chapter 5: विजय की साजिश)

विजय ने प्रियंका और मोहन को हवेली के भीतर एक कक्ष में बैठाया। कमरे के चारों ओर पुरानी किताबें और दस्तावेज पड़े थे। दीवारों पर बसी धूल और अंधेरे में सिमटी पुरानी तस्वीरें इस कमरे को और भी रहस्यमय बना रही थीं। प्रियंका का मन एक अजीब घबराहट से भरा हुआ था।

विजय ने मोहन की तरफ देखा और फिर प्रियंका से कहा, “तुम दोनों अब तक जिस रास्ते पर चल रहे थे, वह सही नहीं था। तुम लोगों ने केवल कुछ छोटे सुरागों को देखा था, लेकिन जो राज़ छुपा है, वह उससे कहीं अधिक गहरा है।”

प्रियंका का चेहरा कठोर हो गया। “क्या तुम कह रहे हो कि राजन को तुमने… तुमने कुछ किया है?”

विजय ने एक ठंडी हंसी दी और बोला, “नहीं, प्रियंका। मैं उसे नहीं जानता था। लेकिन वह जानता था, और यह बात उसे जानकर अपनी ही जिंदगी से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।” विजय ने धीरे-धीरे कागजों के ढेर को खिसकाया और एक पुरानी किताब को निकाला। उसकी जिल्द पर कुछ गहरे निशान थे, जो नवलपुर के पुराने इतिहास से जुड़ी लगती थी।

“यह वह किताब है, जो राजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी,” विजय ने कहा। “राजन ने जब इसे पढ़ा था, तब उसे यह एहसास हुआ कि हमारे शहर के पुराने रहस्यों में कुछ ऐसा छुपा है, जिसे बाहर लाने से हर किसी की जिंदगी बदल सकती है। और शायद, यही कारण था कि वह चला गया।”

प्रियंका ने किताब को अपनी तरफ खींच लिया, लेकिन विजय ने उसे रुकने का इशारा किया। “तुमे पहले समझना होगा कि यह सब कुछ सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं है, प्रियंका। यह साजिश बहुत पुरानी है, और इसमें हमारे जैसे कई लोग शामिल हैं। तुम सोच भी नहीं सकती कि कितने लोग इस किताब के पीछे अपनी जान तक गंवा चुके हैं।”

प्रियंका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगा। यह क्या रहस्य था? क्या राजन ने सच में ऐसी कोई किताब पाई थी, जो शहर के इतिहास को बदल सकती थी?

विजय ने धीरे-धीरे किताब खोली और उसमें एक पुराना नक्शा दिखाया। नक्शे पर कुछ खंडहर और किले दिखाए गए थे, जो अब तक किसी ने नहीं देखे थे। “यह नक्शा तुम्हें कहीं और ले जाएगा, प्रियंका। वह जगह, जहाँ राजन ने अपना आखिरी कदम रखा था।”

प्रियंका की आँखों में चमक आ गई। क्या यह वही जगह थी, जहाँ राजन गायब हो गया था?

“तुम उसे वहाँ तक नहीं पहुंचने दोगी,” विजय ने एक गंभीर स्वर में कहा, “क्योंकि अगर तुम सच जान गई तो तुम अपनी जान भी गंवा सकती हो।”

प्रियंका की आंखों में डर और संदेह का मिश्रण था। वह जानना चाहती थी कि वह क्या रहस्य था जो इस किताब में छुपा था। लेकिन क्या वह इसे खोलने के लिए तैयार थी?

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