प्रियंका और मोहन ने एक पुरानी हवेली के बारे में सुना था, जो राजन के लापता होने से जुड़ी हो सकती थी। हवेली, जिसे लोग अब “भूतिया हवेली” कहते थे, एक समय में नवलपुर के सबसे समृद्ध परिवार की थी। लेकिन अब, वह सुनसान थी, और इसने शहर के रहस्यों को अपनी दीवारों में छुपा रखा था।
प्रियंका का मन अशांत था। हवेली के अंदर कदम रखते ही, उसे एक अजीब सी घबराहट महसूस हुई, जैसे कुछ गलत होने वाला हो। हवेली का दरवाजा धीमे-धीमे खटका, जैसे किसी ने जानबूझकर उसे खोला हो। हवेली के भीतर घना अंधेरा था, और दीवारों पर जाले लगे हुए थे। हर कदम पर प्रियंका को लगता कि वह किसी भूतिया दुनिया में प्रवेश कर रही हो।
“यह क्या जगह है?” प्रियंका ने मोहन से धीरे से पूछा।
“यह वही जगह है, प्रियंका, जहां तुम्हारे पति ने आखिरी बार कदम रखा था। अगर हम इसे समझने में सफल हो गए, तो शायद राजन के गायब होने का रहस्य भी सुलझा सकते हैं।”
प्रियंका ने देखा कि हवेली के एक कोने में कुछ किताबें रखी हुई थीं, जो पुरानी थीं। उन किताबों में एक खुफिया डायरी रखी थी। प्रियंका ने उसे खोला। “यह क्या है?” प्रियंका ने देखा कि उस डायरी में राजन का नाम था।
तभी, एक सर्द हवा ने हवेली के अंदर का माहौल और भी डरावना बना दिया। प्रियंका का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, और अचानक एक आवाज आई, “तुम सच जानने की कोशिश कर रहे हो, प्रियंका। लेकिन क्या तुम तैयार हो उसके लिए?”
प्रियंका कांपते हुए मुड़ी। सामने विजय खड़ा था। विजय वही व्यक्ति था, जिसे राजन ने अपनी डायरी में कई बार नाम से लिखा था। प्रियंका की आँखें चौड़ी हो गईं। “तुम… तुम कौन हो?” प्रियंका की आवाज़ कांप रही थी।
विजय हंसा, लेकिन उसकी हंसी में कोई सुकून नहीं था। “तुमने बहुत देर कर दी, प्रियंका। अब तुम जो जानोगी, वह तुम्हारी जिंदगी बदल देगा।”
प्रियंका का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। क्या वह सच में राजन को खोज पाएगी? और क्या वह विजय के रहस्यों का खुलासा कर पाएगी?