अधूरी सच्चाई (The Unfinished Truth)
अध्याय 1: लापता राजन
नवलपुर, वह शांत शहर, जो कभी अपने धीमे-धीमे जीवन के लिए जाना जाता था, अब एक अदृश्य भय के साये में डूब चुका था। यह डर कुछ ऐसा था जिसे कोई शब्द नहीं समझा सकता था, बस महसूस किया जा सकता था। शहर की गलियों में घूमते हुए लोग अब पहले जैसे नहीं रहे थे। उन आंखों में कोई अदृश्य हलचल थी, एक ऐसा अनकहा डर, जो बयां नहीं हो सकता था।
प्रियंका अपने घर के आंगन में खड़ी थी। उसके चेहरे पर एक ऐसी उदासी थी, मानो कोई गहरी खाई उसकी आंखों में बसी हो। उसका दिल अजीब तरह से धड़क रहा था, जैसे वह किसी अज्ञात भय से लड़ रही हो।
“राजन… तुम कहाँ हो?” यह सवाल उसने अपने दिल से हर पल पूछा, पर किसी ने भी इसका जवाब नहीं दिया। उसका पति, जो एक दिन पहले तक उसके साथ था, अब उस शहर के सबसे बड़े रहस्य की तरह गायब था।
राजन, नवलपुर का वह प्रतिष्ठित व्यापारी, जिसकी शकल में कोई भी अपराध नहीं देख सकता था, एक दिन अचानक बिना किसी निशान के गायब हो गया। प्रियंका ने कई बार उसे कॉल किया, पर कोई जवाब नहीं आया। उसके पास कोई सुराग नहीं था, सिर्फ उसके मन में एक अजीब-सी घबराहट थी।
“क्या तुम सच में ठीक हो, राजन?” प्रियंका ने पिछले दिनों कई बार उसे यह सवाल पूछा था, लेकिन राजन हमेशा हंसकर कहता, “सब ठीक है प्रियंका। कोई चिंता की बात नहीं।”
लेकिन प्रियंका को उस हंसी में कुछ गहरे संदेह का अहसास हुआ था। उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो छुपा हुआ था। वह खुद को छुपाने की कोशिश कर रहा था। प्रियंका को लगता था कि उसका पति कुछ बड़ा छुपा रहा था, और अब उसकी गुमशुदगी ने उन सब चीजों को और भी रहस्यमय बना दिया था।
“क्या सच में कुछ गड़बड़ है?” प्रियंका ने अपना सवाल खुद से पूछा।
उसने राजन की पुरानी डायरी को खोल लिया। हर पन्ने में जैसे कोई राज छुपा था। एक दिन उस डायरी में एक पंक्ति पढ़ी थी:
“कभी-कभी हमें सच से डर लगता है, प्रियंका। लेकिन इस बार सच का पीछा करना होगा। अगर हम इस सच को न जान पाए, तो हम कभी भी मुक्ति नहीं पा सकते।”
प्रियंका की आँखें चौड़ी हो गईं। क्या राजन ने सच में कुछ खतरनाक देख लिया था? वह क्या जान गया था, जिसे जानने से प्रियंका को रोका जा रहा था?
प्रियंका का दिल धड़क रहा था, जैसे कोई उसे धक्का दे रहा हो। एक अजीब सी हलचल उसके अंदर महसूस हो रही थी। एक ऐसी हलचल जो उस समय से और भी गहरी हो रही थी, जबसे राजन गायब हुआ था। प्रियंका ने तुरंत फैसला किया कि वह इस रहस्य का पीछा करेगी, चाहे जो भी हो।
लेकिन क्या वह सचमुच तैयार थी? क्या वह जानती थी कि इस रास्ते पर चलते हुए, उसे कौन-कौन सी बाधाएँ सामने आएंगी?