Suspense Stories

अधूरी सच्चाई (Chapter 4: विजय का खेल)

प्रियंका और मोहन के सामने विजय खड़ा था, उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी। प्रियंका का दिल धड़कते-धड़कते जैसे रुकने को था। वह जानती थी कि वह किसी बहुत बड़े रहस्य के करीब पहुंच चुकी थी। विजय की उपस्थिति से हवेली की अंधेरी दीवारें और भी डरावनी लग रही थीं।

“तुम कौन हो, विजय?” प्रियंका ने कड़ी आवाज में पूछा, लेकिन उसकी आवाज़ में डर साफ़ था। मोहन के चेहरे पर भी एक गहरी घबराहट थी, जो उसने छिपाने की कोशिश की थी, पर उसकी आँखों से सब कुछ साफ़ था।

विजय ने प्रियंका की तरफ देखा और फिर धीरे-धीरे मुस्कराया। “तुम सच्चाई का पीछा कर रही हो, प्रियंका, लेकिन क्या तुम इसके परिणामों के लिए तैयार हो? तुमने जिस रास्ते पर कदम रखा है, वह तुम्हारे लिए बहुत खतरनाक होगा।”

प्रियंका ने अपनी सासें भीतर खींची और अपने डर को संभालने की कोशिश की। “क्या तुम जानते हो, विजय? क्या तुम जानते हो कि राजन कहाँ है? क्या तुम उसे छुपा कर रखे हो?”

विजय की हंसी ने प्रियंका को चौंका दिया। “राजन को लेकर तुम बहुत गलत समझ रही हो। तुम जितना सोच रही हो, वह उससे कहीं अधिक जटिल है।” विजय की आवाज़ में एक ऐसा राज़ था, जिसे सुनकर प्रियंका का दिल और भी भारी हो गया।

प्रियंका ने खुद को संभालते हुए कहा, “मुझे सब कुछ बताओ। मुझे राजन के बारे में सबकुछ जानना है।”

विजय ने अपनी आँखें प्रियंका से हटा लीं और बोला, “यह सब आसान नहीं होगा। वह जो तुम्हें दिख रहा है, वह सच नहीं है। अगर तुम सच जानना चाहती हो, तो तुम्हें मेरी मदद चाहिए। लेकिन तुम तैयार हो?”

प्रियंका का दिल गहरे संदेह से भर गया। “क्या तुम सच में मुझे मदद दोगे? या फिर तुम सिर्फ मुझे और उलझाने की कोशिश कर रहे हो?”

विजय ने एक गहरी साँस ली और फिर धीमे से कहा, “तुम्हें यह समझने की जरूरत है, प्रियंका, कि राजन और मैं एक ही तरह के थे। हम दोनों ने बहुत सी चीजें एक-दूसरे से छुपाई। तुम चाहती हो कि मैं सब कुछ बता दूं, लेकिन क्या तुम वह सच्चाई सहन कर पाओगी?”

प्रियंका को अब यह अहसास हुआ कि विजय के शब्दों में कुछ गंभीर बात थी। वह चाहती थी कि उसे सब कुछ बताने का मौका मिले, लेकिन अब उसे डर था कि कहीं वह खुद भी अंधेरे में न फंस जाए।

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